सबरक्षा मंत्र Sabaraksha Mantra SELF DEFEND MANTRA

                  सबरक्षा मंत्र

                      Sabaraksha Mantra

                     SELF DEFEND MANTRA

 

ॐ परमब्रह्मपरमात्मने मम शरीरं पाहि पाहि कुरु कुरु

Om Parambrahmaparmatmane Mam Shaarim Pahi Pahi Kuru Kuru

 

 

उपरोकत मंत्र को 108 बार जाप करके अपने मुख की फुख द्वार अपने शरीर को अभ्रत करना चाहिए ऐसा करने से उस इंसान के शरीर में कोई दुख नहीं आएगा

By chanting the above mantra 108 times, one should impure one’s body with the breath of one’s mouth. By doing this there will be no pain in that person’s body.

मंत्र को पढ़ने

मंत्र को पढ़ने का तरीका एक अंतरिक्ष अनुशासन और आध्यात्मिक साधना है, जो व्यक्ति के मन, शरीर, और आत्मा को शांति, शक्ति और सुख प्रदान करने का प्रयास है। मंत्र साधना में विशेष ध्यान और पवित्रता की अवश्यकता होती है। यहां पर मंत्र को पढ़ने का सही तरीका और उसकी महत्ता को विस्तार से समझा गया है:

1. मंत्र की तैय्यारी

मंत्र साधना शुरू करने से पहले, व्यक्ति को कुछ तैयारी करनी चाहिए:

ध्यान और पवित्रता: मंत्र साधना के लिए व्यक्ति को अपने आदमी को शुद्ध और स्थिति में रखना चाहिए। इसके लिए ध्यान और पवित्रता का ध्यान रखना आवश्यक है।

मंत्र चयन: व्यक्ति को एक अधिक प्रभावित मंत्र को चुनना चाहिए। मंत्र चुनने के लिए विचार और विवेक की अवश्यकता होती है।

संकल्प: मंत्र साधना शुरू करने से पहले व्यक्ति को एक संकल्प लेना चाहिए, जिसकी श्रद्धा और दृढ़ निश्चय व्यक्त हो।

2.उच्चारण की विधि

मंत्र साधना में उच्चरण का महत्व काफी अधिक है। मंत्र को सही तरीके से उच्चरण करना आवश्यक है:

स्थिर आसन: मंत्र पढ़ने के लिए व्यक्ति को एक स्थिर और आरामदायक आसन चुनना चाहिए। योगासन भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

माला: मंत्र को जपते समय माला का उद्देश्य होता है। माला को हाथ में लेकर मंत्र को एक मुख से दूसरे मुख पर ले जाएं और मंत्र को धीरे-धीरे उच्चारन करें।

ध्यान: मंत्र को जपते समय व्यक्ति को पूरा ध्यान देना चाहिए। मंत्र के अर्थ को समझे और उसका उच्चारन ध्यान से करें।

स्वर और लय: मंत्र को सही लय और स्वर के साथ पढ़ना महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का प्रभाव अधिक होता है।

3. समय और स्थिति का चयन

मंत्र साधना के लिए समय और स्थिति का सही चयन करना भी महत्वपूर्ण है:

समय: मंत्र साधना का समय सुबह या शाम का शांत और पवित्र समय होता है। व्यक्ति अपने दिन के शेड्यूल के अनुरूप समय चुन सकते हैं।

स्थिति: मंत्र पढ़ने के लिए एक पवित्र स्थल चुनना चाहिए। स्थिति को पवित्र और शांत रखें।

4. मंत्र जप का नियम अभ्यास

मंत्र साधना को सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को नियम से अभ्यास करना चाहिए:

दिन में कितनी बार जप: व्यक्ति को मंत्रजप कितनी बार करना है, इसका निर्धारण करें। कुछ लोग दिन में एक बार, तीन बार या अधिक बार मंत्र जप करते हैं।

सांख्य: मंत्र जप की सांख्य को नियम से रखें। इस मंत्र की शक्तियाँ व्यक्ति पर प्रभावित होती हैं।

नियमिता: मंत्र जप को नियम से करें, विशेष रूप से सुबह और शाम।

5. अंतर की शांति और ध्यान

मंत्र साधना में अंतर की शांति और ध्यान भी महत्वपूर्ण है:

ध्यान और प्राणायाम: मंत्र जप के साथ-साथ ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें। इस आदमी को शांति मिलती है।

मन की शुद्धि: मंत्र जप के लिए मन को शुद्ध रखें।

6. सेवा भावना

मंत्र जप के दौरन सेवा भावना को बना कर रखें। यानि कि दूसरों की मदद करने की भावना से मंत्र जाप करें। इसे आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है।

7. गुरु का मार्गदर्शन

अगर किसी व्यक्ति के पास एक गुरु या आध्यात्मिक मार्गदर्शक है, तो उनकी सलाह और उपदेश का पालन करें। गुरु के मार्गदर्शन से मंत्र साधना में सफलता मिलती है।

इस प्रकार, मंत्र साधना को सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को श्रद्धा, समर्पण और नियम अभ्यास की आवश्यकता होती है। मंत्र का उच्चरण सही तरीके से और पवित्र भावना के साथ करना चाहिए। इससे व्यक्ति को आंतरिक शांति, शक्ति और आध्यात्मिक विकास प्राप्त हो सकता है।

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